माँ कालरात्रि नवरात्रि के सातवें दिन पूजी जाने वाली माँ दुर्गा का सातवाँ स्वरूप हैं। इन्हें सर्व बाधाओं का नाश करने वाली देवी माना जाता है। "कालरात्रि" का अर्थ है:
"काल" = समय, मृत्यु या अंधकार
"रात्रि" = रात्रि या विनाशकारी शक्ति
इसलिए, माँ कालरात्रि को अंधकार और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने वाली देवी माना जाता है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
इनका रंग गहरा काला होता है, जो शक्ति और रौद्र रूप को दर्शाता है।
इनकी चार भुजाएँ होती हैं:
एक हाथ में खड्ग (तलवार) होती है।
दूसरे हाथ में वज्र (गदा) होता है।
अन्य दो हाथ अभय और वरद मुद्रा में होते हैं।
ये गर्दभ (गधा) पर सवार होती हैं।
इनके बाल बिखरे हुए होते हैं और इनकी तीव्र दहकती हुई आँखों से अग्नि निकलती है।
इनके नाक से अग्नि की लपटें निकलती हैं, जिससे यह अति भयावह प्रतीत होती हैं।
माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व
नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत बाधाओं और शत्रुओं का नाश करती हैं।
रोग, भय, और अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं।
इनकी उपासना से अहंकार, क्रोध और बुरी आदतों का नाश होता है।
साधक को आध्यात्मिक उन्नति और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
स्नान कर स्वच्छ लाल या काले वस्त्र पहनें।
माँ की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
लाल फूल, गुड़, और काले तिल का भोग अर्पित करें।
माँ कालरात्रि के मंत्र का जाप करें:
“ॐ देवी कालरात्र्यै नमः”
आरती करें और माता से रक्षा की प्रार्थना करें।
माँ कालरात्रि की कृपा के लाभ
भूत-प्रेत, नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है।
रोग, भय और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
सभी प्रकार की बाधाओं और संकटों का अंत होता है।