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चंद्रघंटा माता दुर्गा का तीसरा रूप हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है।



चंद्रघंटा माता दुर्गा का तीसरा रूप हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। देवी चंद्रघंटा का नाम उनके मस्तक पर सुशोभित अर्धचंद्र के कारण पड़ा। ये शांति, सौम्यता और साहस की प्रतीक मानी जाती हैं।


माता चंद्रघंटा का स्वरूप

इनके दस हाथ होते हैं, जिनमें तलवार, त्रिशूल, गदा, कमल, धनुष-बाण आदि शस्त्र होते हैं।


इनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और निर्भयता का प्रतीक है।


इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने की होती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वे अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।


इनका रंग स्वर्ण के समान उज्ज्वल होता है, जिससे तेज और दिव्यता झलकती है।


माता चंद्रघंटा की कृपा

माँ चंद्रघंटा की उपासना से साधक को अद्भुत तेज, बल, साहस और निर्भयता प्राप्त होती है। यह रूप विशेष रूप से अशुभ शक्तियों के नाश और शुभता की वृद्धि के लिए पूजनीय है।


पंडित दिनेश शर्मा 
वीर हनुमान ज्योतिष कार्यालय पुष्कर