शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम स्वरूप हैं। नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है।
शैलपुत्री का अर्थ और परिचय: Maa Shailputri – First Goddess of Navratri
"शैल" का अर्थ है पहाड़ (पर्वत) और "पुत्री" का अर्थ है बेटी। इसलिए शैलपुत्री का अर्थ हुआ पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
Who is Maa Shailputri?
ये माँ पार्वती का ही अवतार मानी जाती हैं, जो पिछले जन्म में सती के रूप में जन्मी थीं।
जब सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया था, तब अगले जन्म में ये हिमालय के घर जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं।
माँ शैलपुत्री का स्वरूप:
इनका वाहन नंदी बैल है।
ये दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल धारण करती हैं।
इनका रंग श्वेत (उज्ज्वल आभा) होता है, जो शुद्धता और दिव्यता का प्रतीक है।
पूजा का महत्व: Puja Vidhi of Maa Shailputri
माँ शैलपुत्री की पूजा से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है।
इनकी उपासना से मूलाधार चक्र सक्रिय होता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है।
नवरात्रि के पहले दिन इनकी आराधना करने से पूरे नौ दिनों की पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है।
माँ शैलपुत्री का मंत्र: Mantra of Maa Shailputri
🔸 वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
🔸 वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥