माँ ब्रह्मचारिणी नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। यह माँ दुर्गा का दूसरा रूप है, जो तपस्या और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं।
Maa Brahmacharini – Second Goddess of Navratri
नाम का अर्थ
"ब्रह्म" का अर्थ है ज्ञान, तपस्या, और वेदों का सार।
"चारिणी" का अर्थ है आचरण करने वाली या पालन करने वाली।
इसलिए ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ – जो तपस्या और ब्रह्मज्ञान का पालन करती हैं।
Who is Maa Brahmacharini?
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
इनके दाहिने हाथ में जप माला और बाएँ हाथ में कमंडल होता है।
ये सफेद वस्त्र धारण किए हुए होती हैं।
इनका स्वरूप शांत, दिव्य और सौम्य है।
ये आध्यात्मिक शक्ति और तपस्या की देवी मानी जाती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा The Story of Maa Brahmacharini
माँ ब्रह्मचारिणी पूर्व जन्म में सती थीं।
जब उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की, तब वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं।
उन्होंने हजारों वर्षों तक फल-फूल और बाद में केवल बेल-पत्र खाकर कठोर तपस्या की।
अंत में, उनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने माँ पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
इसीलिए माँ ब्रह्मचारिणी संकल्प, त्याग और आत्म-संयम की प्रतीक मानी जाती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
इनकी पूजा करने से धैर्य, आत्मविश्वास और शक्ति प्राप्त होती है।
जो व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहा है, उसे इनकी आराधना से संबल मिलता है।
यह मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र को सक्रिय करती हैं, जिससे साधक को आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र Mantra of Maa Brahmacharini
🔸 दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलु |
🔸 देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
नवरात्रि में माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि Puja Vidhi of Maa Brahmacharini
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनें।
माँ को सुगंधित फूल, सफेद चंदन, अक्षत, और दूध से बनी मिठाइयाँ अर्पित करें।
माँ की आरती और मंत्र जाप करें।
संतान प्राप्ति, सफलता और मन की शांति के लिए माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें।