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जीवन का सबसे अद्भुत और दिव्य अनुभव - नंदकिशोर महरिया

 Mahakumbh: An Unforgettable Experience of the First Dip at Sangam and Spiritual Cleansing
"महाकुंभ का अद्वितीय अनुभव: संगम में पहली डुबकी और आत्मा की शुद्धि" 

मेरी यात्रा :- नंदकिशोर महरिया 

आज का दिन, मेरे जीवन का सबसे अविस्मरणीय, अद्भुत और दिव्य अनुभव बन गया। जब मैंने महाकुंभ में भाग लेने का निर्णय लिया, तो मैं नहीं जानता था कि यह यात्रा मुझे कहाँ ले जाएगी। 

लेकिन आज, जब मैंने त्रिवेणी संगम में पहली बार डुबकी लगाई, तो महसूस हुआ कि मैं केवल एक भौतिक स्थान पर नहीं, बल्कि एक अनंत आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़ा हूँ, जहाँ से लौटना पहले जैसा संभव नहीं है। यह एक ऐसी अनुभूति थी, जो जीवन भर मेरे साथ रहेगी, और मैं इसे अपनी आत्मा के हर कोने में महसूस करूंगा। 


महाकुंभ, जो हर बार 12 साल में एक बार होता है, लेकिन इस महाकुंभ का संयोग 144 वर्ष वाला भी बना है जिससे यह  महाकुम्भ अद्वितीय हो गया ये केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति की दिशा में एक कदम है। इस आयोजन में हम अपने भीतर के अंधकार को समाप्त कर, सच्चाई और आंतरिक शांति की ओर बढ़ते हैं। प्रयागराज का यह महाकुंभ, जो संगम के पवित्र जल में त्रिवेणी का अद्वितीय मिलन है, वास्तव में किसी आश्चर्य से कम नहीं। यहाँ का हर कण, हर आह, हर पल, दिव्यता से परिपूरित था, जैसे समूची धरती अपने आशीर्वादों से ओत-प्रोत हो।


संगम की ओर बढ़ते हुए, मुझे महसूस हुआ कि यह स्थान कोई सामान्य स्थान नहीं है। यहाँ का वातावरण, जो चारों ओर फैले भक्तों और साधुओं की आस्था और श्रद्धा से भरपूर था, मेरी आत्मा को एक अजीब तरह से आकर्षित कर रहा था। जैसे ही मैं संगम के पास पहुँचा, वहाँ की शांति, हर्षोल्लास और अपार विश्वास ने मुझे पूरी तरह से घेर लिया। यह जैसे ब्रह्मांड का अदृश्य दरवाजा हो, जो अपनी ओर बुला रहा हो। मैंने देखा कि सूरज की हल्की किरणें जल की सतह पर पड़ रही थीं, और जैसे-जैसे वे जल में समाहित हो रही थीं, वह जल रुद्र रूपी तरंगों से शांत और शुद्ध हो रहा था। वह दृश्य अद्भुत था, मानो समय ने अपना ठहराव ले लिया हो।


जब मैंने पहली बार संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं इस दुनिया से कहीं दूर, किसी अलौकिक दुनिया में पहुंच गया हूं। जल की ठंडक ने जैसे मुझे अपनी जड़ें सच्चाई में महसूस कराई। जैसे ही जल ने मेरे शरीर को छुआ, ऐसा लगा जैसे मैं पूरी तरह से शुद्ध हो रहा हूं।

"आत्मा की शुद्धि: पवित्र जल में आत्मिक पुनर्निर्माण का अनुभव" 

यह सिर्फ शरीर की शुद्धि का अनुभव नहीं था, बल्कि मेरी आत्मा की गहरी शुद्धि का अहसास था। मेरे भीतर जो भी उलझनें, गुस्सा, दुख, और चिंता थी, वह सब कुछ जैसे इस पवित्र जल में बहकर निकल गया। यह जल मुझे आत्मिक पुनर्निर्माण का अनुभव दे रहा था, जैसा कि एक जन्म के बाद नया जीवन मिलता है।


संगम के जल में डुबकी लगाते हुए, मुझे महसूस हुआ जैसे मैं गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में एक हो रहा हूं। यह जल न केवल पवित्रता का प्रतीक था, बल्कि यह शुद्धि, शक्ति और आंतरिक ऊर्जा का अद्वितीय स्रोत था। जैसे-जैसे मैंने जल में गहरे उतरना शुरू किया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं समूचे ब्रह्मांड से जुड़ रहा हूँ। जल के सम्पर्क में आते ही, एक नयी चेतना ने मेरे भीतर जन्म लिया। मेरी सारी थकान, सारी अशांति, और सारे भय एक क्षण में दूर हो गए। यह एक अमृत स्नान था, जो मेरी आत्मा को पूर्ण रूप से जागृत कर रहा था। 


जैसे ही मैं जल से बाहर निकला, मुझे ऐसा लगा कि मैं एक नये जीवन में प्रवेश कर चुका हूं। चारों ओर का शोर अचानक थम गया, और चारों दिशाओं में एक गहरी शांति छा गई। यह उस गहरी आंतरिक शांति का अनुभव था, जिसे शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता। मेरे भीतर की सारी परेशानियाँ और उलझनें जैसे जल के साथ बहकर चली गईं। मैं अब पहले जैसा नहीं रहा। यह क्षण मेरे लिए एक आत्मिक जागरण जैसा था। मैंने महसूस किया कि अब मैं उस शांति और संतुलन को पहचान चुका हूं, जो जीवन के असली उद्देश्य की कुंजी है। 


महाकुंभ का यह अनुभव, जो केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं था, बल्कि जीवन के गहरे उद्देश्यों और आंतरिक सत्य को पहचानने का एक शक्तिशाली मार्गदर्शन था। जब हम अपने भीतर की शांति और ऊर्जा को पहचानते हैं, तब हम जीवन की किसी भी समस्या का हल पा सकते हैं। संगम में डुबकी लगाने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि जीवन की सच्ची शांति बाहरी दुनिया से नहीं, बल्कि हमारे भीतर से आती है। और यह अनुभव अब मेरी आत्मा में गहरे तक समाहित हो चुका है। 


अब जब भी जीवन में कोई कठिनाई आएगी, या किसी मुश्किल वक्त में मैं खुद को खोया हुआ महसूस करूंगा, तो इस अद्वितीय अनुभव की याद मुझे हमेशा शक्ति और साहस देगी। महाकुंभ में डुबकी लगाना मेरे जीवन का सबसे दिव्य और अद्वितीय अनुभव था। यह न केवल मेरे धार्मिक विश्वास को और गहरा करता है, बल्कि मुझे जीवन को एक नई दृष्टि से देखने का अवसर भी देता है। 


Gratitude to Prime Minister Narendra Modi and the Administration

"पवित्र त्रिवेणी संगम से आशीर्वाद: शेखावाटी में समृद्धि और खुशहाली की कामना"

यह अनुभव मेरे लिए अत्यंत पवित्र और आस्थाभरा था, जब मैंने पवित्र त्रिवेणी संगम  से आशीर्वाद की प्रार्थना की। मैंने उनसे विनम्रता से यह निवेदन किया कि जैसे यहाँ त्रिवेणी संगम में उनका पवित्र जल संपूर्ण धरती को आशीर्वाद दे रहा है, वैसे ही शेखावाटी के रेतीले धोरों में भी यमुना जल की कल-कल करती ध्वनि गूंजे। ताकि यहाँ के लोग, किसान, और पशुपालक इस दिव्य आशीर्वाद से साक्षात्कार कर सकें। यह समय है जब हम अपने क्षेत्र को भी इन नदियों की पवित्रता और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें, ताकि शेखावाटी में समृद्धि, खुशहाली और हरियाली का नया युग शुरू हो। मेरा विश्वास है कि माँ गंगा का आशीर्वाद हमारे क्षेत्र को विकास की दिशा में अग्रसर करेगा और यहाँ के लोग अपने जीवन में शांति और समृद्धि का अनुभव करेंगे।

      "Blessings from the holy Triveni Sangam: Wishing prosperity and happiness in Shekhawati"

यह यात्रा अब मेरे जीवन का हिस्सा बन चुकी है। जब भी मुझे जीवन के उद्देश्य और शांति की तलाश होगी, यह अनुभव मेरी आत्मा के भीतर हमेशा मार्गदर्शन करता रहेगा। मुझे समझ में आ गया है कि जब हम अपने आंतरिक स्वरूप से जुड़ते हैं, तो हम जीवन के हर पहलू को नयी दृष्टि से देख सकते हैं। और यही अनुभव हमें सच्चे आंतरिक सुख और शांति की दिशा में ले जाता है। 

"मेरी यात्रा के दौरान कुम्भ मेला के आयोजन में जिस प्रकार की शानदार व्यवस्था देखने को मिली, उसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी , मुख्यमंत्री योगी जी और सम्बंधित प्रशासन का आभार व्यक्त करता हूँ। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं में आधुनिकता और परंपरा का बेहतरीन समन्वय देखने को मिला। 

उनकी दूरदृष्टि और प्रशासनिक कड़ी मेहनत के कारण यह मेला न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक रहा, बल्कि सभी को एक अद्वितीय अनुभव भी प्राप्त हुआ। यह आयोजन हर दृष्टि से एक प्रेरणा बन गया, जो पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रचार करने में सफल रहा।"

                             My Journey – Nandkishore Maharia

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