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बसंत पंचमी और कुम्भ स्नान का महत्त्व Significance of Basant Panchami and Kumbh Snan



बसंत पंचमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह माघ माह के शुक्ल पंचमी तिथि को मनाई जाती है, इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। इसके संबंध में द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि का प्रारंभ 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगा  और यह तिथि 3 फरवरी 2025 को सुबह 30  बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।   इस दिन को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि यह देवी सरस्वती, जो ज्ञान, संगीत, कला, और बुद्धिमत्ता की देवी हैं, की पूजा का दिन होता है।


बसंत पंचमी का महत्त्व:

ऋतु परिवर्तन: बसंत पंचमी का त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह ठंडी और गर्मी के बीच का समय होता है, और प्रकृति में हरियाली और सुंदरता का आगमन होता है। बसंत ऋतु को जीवन में नई ऊर्जा और उमंग का संचार करने वाली ऋतु माना जाता है।


ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा: इस दिन को देवी सरस्वती की पूजा का भी विशेष महत्व है। विद्यार्थी, शिक्षक, और कलाकार इस दिन अपनी किताबें, कलम, संगीत वाद्य यंत्र और अन्य शैक्षिक सामान देवी सरस्वती के चरणों में रखकर पूजा करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


वसंत का धार्मिक महत्व: यह दिन मानव जीवन में नये सिरे से ऊर्जा और उत्साह भरने के रूप में देखा जाता है। इसे हर दृष्टि से समृद्धि, सुख और आनंद का प्रतीक माना जाता है।


कुम्भ में स्नान का महत्त्व:

कुम्भ मेला हिन्दू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है: इस बार कुम्भ स्नान इलाहाबाद (प्रयागराज) में है और बसंत पंचमी रविवार, 2 फ़रवरी 2025 को है आपको बता दे की इलाहाबाद (प्रयागराज), हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक। कुम्भ मेला का आयोजन विशेष रूप से उस समय होता है जब ग्रहों की स्थिति बहुत शुभ होती है।


कुम्भ में स्नान का महत्व बहुत बड़ा है, क्योंकि इसे पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति के रूप में देखा जाता है। माना जाता है कि कुम्भ में स्नान करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है। विशेष रूप से, इस दिन स्नान करने से पुराने पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।


इसके अतिरिक्त, कुम्भ मेला श्रद्धालुओं के लिए एक अवसर है, जहां वे धर्म, तात्त्विक विचार और आत्मसाक्षात्कार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कुम्भ स्नान में भाग लेकर व्यक्ति अपने जीवन के बुरे कर्मों से छुटकारा पाता है और नए सिरे से पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त करता है।


बसंत पंचमी और कुम्भ स्नान:

कुम्भ मेले में जो स्नान विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन होता है, उसे बसंत स्नान कहा जाता है। इस दिन स्नान करने का अत्यधिक महत्व माना जाता है, क्योंकि यह दिन विशेष रूप से देवी सरस्वती की पूजा और ज्ञान की प्राप्ति से जुड़ा हुआ होता है। इस दिन कुम्भ स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन मिलता है।

                                                          पंडित :- भानुप्रकाश शास्त्री

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