मकर संक्रांति (Makar Sankranti) एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो विशेष रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और इसका धार्मिक, सांस्कृतिक और कृषि से गहरा संबंध है। मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी के आसपास होती है (हालांकि कभी-कभी यह 13 जनवरी को तो कभी 15 जनवरी को भी हो सकती है, क्योंकि यह सूर्यमाला के आधार पर तय होती है)।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का महत्व:
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश:मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का मुख्य धार्मिक महत्व इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना होता है। यह दिन सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक है, जो हिंदू कैलेंडर में एक शुभ समय माना जाता है। उत्तरायण का मतलब है कि सूर्य अब उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ रहा है, जिससे दिन बड़े होते हैं और रात छोटी होती है।
कृषि संबंधी महत्व:मकर संक्रांति (Makar Sankranti) कृषि समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फसल की कटाई का समय होता है। खासकर भारत में, यह समय गेंहू, धान, मूंगफली, तिल (सहजन), गन्ना आदि की फसलें कटने का होता है। इस दिन को किसानों के लिए एक नए साल के रूप में मनाया जाता है, जब वे अपनी फसल का धन्यवाद करते हैं और अगले वर्ष की सफलता की कामना करते हैं।
धार्मिक महत्व:मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को विशेष रूप से स्नान, पूजा और तिल दान के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन गंगा, यमुन, नर्मदा, कावेरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। खासकर कुम्भ मेला में मकर संक्रांति के दिन स्नान का विशेष महत्व है।
उत्तरायण का महत्व:उत्तरायण का समय बहुत शुभ माना जाता है। यह समय देवताओं के साथ जुड़ा होता है और इसी कारण से मकर संक्रांति को तीज और त्यौहारों का प्रारंभ माना जाता है। इस दिन सूर्य की उपासना, हवन और धार्मिक अनुष्ठान करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के पारंपरिक रीति-रिवाज:
तिल और गुड़ का सेवन: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन तिल, गुड़, और तिल के लड्डू का सेवन किया जाता है। इनका सेवन शुभ होता है और माना जाता है कि तिल और गुड़ का सेवन करने से शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पतंगबाजी: विशेष रूप से गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर भारत और कुछ अन्य क्षेत्रों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन पतंगबाजी की परंपरा है। लोग आकाश में रंग-बिरंगी पतंग उड़ाते हैं और इस दिन को उत्सव के रूप में मनाते हैं।
दान पुण्य: इस दिन दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से तिल, गुड़, वस्त्र और अनाज का दान किया जाता है। दान के रूप में तिल और गुड़ देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।
समारोह और मेलों का आयोजन: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन विभिन्न स्थानों पर मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, अच्छे व्यवहार और प्रेम का आदान-प्रदान करते हैं।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का आयोजन विभिन्न राज्यों में:
गुजरात: यहाँ इसे "उत्तरायण" के नाम से मनाया जाता है और खासकर पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है।
महाराष्ट्र: यहाँ इसे "माघी संक्रांति" कहते हैं, और इस दिन लोग तिल-गुड़ के लड्डू बांटते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं।
उत्तर भारत: उत्तर भारत में इसे "मकर संक्रांति" के नाम से मनाते हैं, जहां लोग गंगा और यमुन जैसी नदियों में स्नान करते हैं।
तमिलनाडु: यहाँ इसे "पोंगल" के रूप में मनाते हैं, जो चार दिन चलने वाला एक कृषि पर्व होता है।
कर्नाटक: यहाँ इसे "उगाड़ी" के रूप में मनाते हैं, और तिल, गुड़, हंगरी (पानी का मीठा मिश्रण) का सेवन किया जाता है।
मकर संक्रांति (Makar Sankranti)न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह कृषि, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है, जो पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।