अद्भुत धारा और शाही स्नान
प्रयागराज -संगम नगरी प्रयागराज में 'महाकुंभ 2025' की धूम मची हुई है और इस बार की शुरुआत भी बेहद खास रही। पौष पूर्णिमा के अवसर पर महाकुंभ के आयोजन का शंखनाद हुआ, और मकर संक्रांति के दिन तो संगम तट पर एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। लाखों श्रद्धालु, साधु-संत, और नागा साधु अमृत स्नान करने के लिए उमड़े।
इस महाकुंभ में शामिल होने वाले प्रमुख 13 अखाड़ों के संतों ने संगम तट पर रुककर न केवल आस्था का प्रतीक स्वरूप स्नान किया, बल्कि शाही जुलूस भी निकाले। ये जुलूस हाथी, ऊंट, और घोड़े की सवारी के साथ भव्य तरीके से निकले। जुलूस में शामिल संत, संन्यासी, और नागा साधु 17 श्रृंगार के साथ संगम के पवित्र जल में स्नान करने पहुंचे। यह दृश्य न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी अतुलनीय था।
बुधगिरी पीठाधीश्वर महन्त दिनेशगिरी महाराज ने भी मकर संक्रांति के दिन अमृत स्नान किया। उनके साथ पहुंचे श्रद्धालुओं और अनुयायियों ने इस पवित्र अवसर पर संगम के जल में स्नान करके पुण्य कमाया।
महाकुंभ 2025 में इस बार खास तौर पर पारंपरिक संस्कृति, साधु-संतों के रंगीन साधन, और भव्य झांकियां आकर्षण का केंद्र बनीं। संगम तट पर हर तरफ श्रद्धा और आस्था का महासंगम था, जो कि एक अनमोल अनुभव की तरह था।
यह महाकुंभ न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है, जो हर किसी के दिल में अपनी एक गहरी छाप छोड़ता है।