प्रयागराज -आज, मकर संक्रांति के पवित्र अवसर पर महाकुंभ 2025 में पहला शाही स्नान आयोजित किया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से धार्मिक महत्व रखता है, और लाखों श्रद्धालु, संत, साधु, और अखाड़ों के सदस्य गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए हरिद्वार में एकत्रित होंगे। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने को विशेष फलदायक माना जाता है, और इसे पुण्य कमाने का सबसे शुभ अवसर माना जाता है।
इस दिन सभी प्रमुख अखाड़े अपनी-अपनी बारी पर गंगा में स्नान करेंगे। हर अखाड़ा एक विशिष्ट समय पर और एक निर्धारित क्रम में स्नान करेगा, ताकि अधिकतम श्रद्धालु इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग ले सकें। अखाड़ों के साधु-संत विशेष परिधानों में, मंत्रोच्चारण करते हुए और संप्रदायिक आस्था के साथ स्नान करेंगे। इस दौरान अखाड़ों के प्रमुख संतों और साधुओं के दर्शन का भी लोग लाभ उठाएंगे।
स्नान के बाद, श्रद्धालु और संत संप्रदाय के लोग धार्मिक अनुष्ठान, भजन, कीर्तन और पूजा में भाग लेंगे। यह अवसर भारतीय धर्म और संस्कृति की महिमा का प्रतीक होता है, और इस दिन विशेष रूप से संत-महात्मा और आम जनता, दोनों का आस्था और श्रद्धा से जुड़ाव देखा जाता है।
महाकुंभ में मकर संक्रांति का स्नान आस्था और धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, और यह दिन कर्म और भक्ति के पथ पर अग्रसर होने का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है।