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Manusmriti हिंदू धर्म का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ



मनुस्मृति हिंदू धर्म का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे "मनु संहिता" भी कहा जाता है। इसे मनु नामक ऋषि द्वारा रचित माना जाता है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से समाज के विविध पहलुओं जैसे धर्म, कानून, नीति, और सामाजिक व्यवस्था के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करता है। मनुस्मृति में कुल 12 अध्याय होते हैं, जिनमें जीवन के विभिन्न पक्षों, जैसे न्याय, परिवार, शिक्षा, और शास्त्रों के पालन के बारे में निर्देश दिए गए हैं।


मनुस्मृति को एक तरह से हिंदू समाज के लिए एक आदर्श कोड या संहिता माना जाता है, जिसमें धार्मिक आचार-व्यवहार और सामाजिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ में  स्त्रियों की स्थिति, विवाह, नैतिकता, और व्यक्तिगत कर्तव्यों के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई है।


आज धर्म पे आधारित ध्रुवीकरण की राजनैतिक से प्रेरित होकर कुछ लोगों द्वारा ये बात बताई जा रही है कि मनुस्मृति द्वारा लोगो को दैनिक जरूरतों से वंचित किया गया। कुछ लोग हिंदू समाज में ध्रुवीकरण करने के लिए मनुस्मृति की बुराई बताते है और बताते है कि इस किताब से लोगों की जिंदगी नर्क बनी रही। जबकि कुछ लोगो का मानना है कि ये किताब लोगो को किस तरह से कार्य करना चाहिए ताकि समाज मे कोई एक दूसरे के काम में दख़लंदाज़ी किए बिना अपनी आय अर्जित करे और काम करता रहे इस भावना से लिखा गया।  विद्वानों ने समाज मे चार वर्णों से अपेक्षा की गई होगी कि ब्राह्मण वर्ण धार्मिक कार्य करे, क्षत्रिय वर्ण राज्य की रक्षा करे, वैश्य वर्ण व्यापार से लाभ अर्जित करे और क्षुद्र वर्ण रोजाना के कामों मे उपयोग की जानी वाली चीजों के निर्माण काम में लगे और महिलाओं से आशा की गई की परिवार को चलाने के लिए घर की व्यवस्था देखे। जिनको विरोध करना है वो कुतर्क के द्वारा अनेक बुराई खोजेंगे उनकी उपेक्षा करते हुए अपने धर्म के अडिग रहते हुए ईश्वर को याद करते रहो कोई दुष्ट विधर्मी नास्तिक धर्म के मार्ग से हटा कर तुमसे लाभ नहीं ले सके।


सरकार के लाभ के लिए हिंदू कानून का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। मनुस्मृति में  12 अध्याय हैं, जिनमें 2684 श्लोक हैं। कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या २९६४ है।




मनुस्मृति ही वह आधारशिला है जिसके ऊपर मिस्र, परसिया, ग्रेसियन और रोमन कानूनी संहिताओं का निर्माण हुआ। आज भी यूरोप में मनु के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है।

मनुस्मृति की संरचना एवं विषयवस्तु

मनुस्मृति भारतीय आचार-संहिता का विश्वकोश है, मनुस्मृति में बारह अध्याय तथा दो हजार पाँच सौ श्लोक हैं, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, संस्कार, नित्य और नैमित्तिक कर्म, आश्रमधर्म, वर्णधर्म, राजधर्म व प्रायश्चित आदि विषयों का उल्लेख है।


1  जगत् की उत्पत्ति


2  संस्कारविधि, व्रतचर्या, उपचार


3  स्नान, दाराघिगमन, विवाहलक्षण, महायज्ञ, श्राद्धकल्प


4  वृत्तिलक्षण, स्नातक व्रत


5  भक्ष्याभक्ष्य, शौच, अशुद्धि, स्त्रीधर्म


6  गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थ, मोक्ष, संन्यास


7  राजधर्म


8  कार्यविनिर्णय, साक्षिप्रश्नविधान


9  स्त्रीपुंसधर्म, विभाग धर्म, धूत, कंटकशोधन, 


10  संकीर्णजाति, आपद्धर्म


11  प्रायश्चित्त


12  संसारगति, कर्म, कर्मगुणदोष, देशजाति, कुलधर्म, निश्रेयस।