हनुमान चालीसा की दूसरी चौपाई और उसका अर्थ
"रामदूत अतुलित बल धामा"
"अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा"
**"रामदूत अतुलित बल धामा"**
- इस वाक्य का अर्थ है कि हनुमान जी राम के दूत हैं और उनके पास अतुलनीय (अपरिमित) बल है। हनुमान जी ने राम के कार्यों को पूरे समर्पण और बल के साथ किया, विशेष रूप से राम के साथ उनकी लीला और राक्षसों के वध में उन्होंने असाधारण शक्ति का परिचय दिया।
**"अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा"**
- इसका अर्थ है कि हनुमान जी अंजनी माता के पुत्र हैं और पवन देव (वायु देव) के द्वारा उत्पन्न हुए हैं, इसलिए उन्हें "पवनसुत" (वायु के पुत्र) भी कहा जाता है। हनुमान जी को अंजनी के गर्भ से जन्म लेने के कारण अंजनि-पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
यह चौपाई हनुमान जी के जन्म, उनके शक्ति और उनके भगवान श्रीराम के प्रति अपार निष्ठा का बखान करती है। हनुमान जी को उनके अद्वितीय बल और सेवा के कारण "रामदूत" के रूप में पूजा जाता है।
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