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गोविंदम में चल रहे श्रीमद् भागवत रसवर्षण का हवन एवं पूर्णाहुति के साथ समापन 
खबर - बाबूलाल सैनी 
सीकर 11 नवंबर। स्वर्गीय हरि बक्श, स्वर्गीय श्याम सुंदर बियाणी एवं परिवार की समस्त पुण्य आत्माओं की स्मृति में बियाणी परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत रसवर्षण का सोमवार को हवन एवं पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया। सुबह 10:00 बजे भागवत कथा के आयोजक दिनेश बियाणी ने सपरिवार हवन में आहुतियां दी। हवन के बाद श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, श्री सुखदेव विदाई का वाचन किया गया। इसके बाद फूलों की होली खेली गई और महाआरती का आयोजन किया गया। महाआरती के तत्पश्चात कथा स्थल पर भागवत महाप्रसादी हुई जिसमें सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। श्री गोपीनाथ सेवा सदन गोविंदम में हुये इस आयोजन के समापन अवसर पर अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री श्रीजी महाराज ने कहां कि कथाओं का कभी समापन नहीं होता। कथाएं निरंतर चलती रहती है। 
आज यहां इसका समापन हुआ है, तो दूसरी जगह इसका शुभारंभ हो गया। उन्होंने कहा कि सीकर में हुई भागवत कथा के निमित्त बने दिनेश बियाणी साधुवाद के पात्र है। श्रीजी महाराज ने कहा कि संत समागम और कथाओं का गुणगान दुर्लभता से ही नसीब होता है। हर किसी को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं होता। सोमवार को हुई कथा के दौरान श्रीजी महाराज ने सुदामा और श्री कृष्ण भगवान की मित्रता का बड़े ही भावपूर्ण ढंग से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में सबसे श्रेष्ठ रिश्ता मित्रता का है। जिसे सच्चा मित्र मिल गया वह सबसे भाग्यशाली इंसान है। उन्होंने कहा कि मित्रता में कभी भी दगाबाजी नहीं करनी चाहिए। उनका कहना था कि खून के रिश्ते तो भगवान बनाता है, लेकिन मित्रता का रिश्ता हम स्वयं बनाते हैं। सच्चा मित्र वही है जो विपत्ति और संकट के समय मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उन्होंने श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि सुदामा निर्धन होने के बावजूद भी द्वारकाधीश श्री कृष्ण से मिलने नहीं गए। जब उनकी पत्नी सुशीला को पता चला कि श्री कृष्ण भगवान उनके मित्र हैं तो उसने सुदामा को मिलने के लिए कहा। लेकिन सुदामा अपने मन में अपराधबोध पाले हुए थे जिसको लेकर वह श्री कृष्ण से मिलने के लिए संकुचित थे। लेकिन फिर भी पत्नी के कहने पर द्वारिका नगरी गए और श्री कृष्ण से मिले। श्री कृष्ण भगवान अपने मित्र सुदामा से मिलकर इतने भावुक हो गए कि उन्हें अपने सिंहासन पर बिठाकर पूरा मान सम्मान दिया तथा स्वयं सुदामा के चरणों में बैठ गए। यह सब सुदामा कि उस मित्रता का परिणाम था जिसमें लोभ, प्रलोभन बिल्कुल भी नहीं था और सुदामा ने कभी श्री कृष्ण के प्रतिनिष्ठा ने छोड़ी थी। श्रीजी महाराज ने कहा कि भगवान की भक्ति के लिए धनी और निर्धन जाति या समुदाय कुछ मायने नहीं रखता क्योंकि भगवान कभी किसी में भेद नहीं करते। भक्त को विश्वास होना चाहिए कि मैं जो भगवान को अर्पित करूंगा वे स्वीकार करेंगे भगवान तो सिर्फ भाव के भूखे होते हैं। भागवत कथा शुरू होने से पूर्व है व्यास पीठ पर अश्वनी दास जी महाराज, मनोहर शरण जी महाराज तथा चंद्रमा दास जी महाराज सहित बियाणी परिवार ने भागवत कथा की पूजा की और श्रीजी महाराज का स्वागत किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक दिनेश बियाणी ने सभी संत महात्माओं सहित आगंतुक अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अखिल भारतीय अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामजीलाल अग्रवाल कोलकाता, अखिल राज्य ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आरटिया प्रदेश अध्यक्ष विष्णु भूत,व्यवसायी अमित चिराणिया, सुरेश शर्मा,महेंद्र तोदी, योगेश चितलांगिया, राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के प्रदेश महामंत्री पत्रकार बाबूलाल सैनी, सीएलसी निदेशक श्रवण चौधरी, परमेश्वर शर्मा, भाजपा नेता बाबू सिंह बाजोर, सीकर भाजपा अध्यक्ष डॉ.कमल सिखवाल, भाजयूमो जिला अध्यक्ष स्वदेश शर्मा, राजकुमार जोशी तथा भाजपा प्रवासी प्रकोष्ठ राजस्थान के संयोजक श्री कुमार लखोटिया, घनश्याम खंडेलवाल व युवक कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकुल खींचड़ सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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HINDU ASTHA

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