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आचार्य रणजीत स्वामी
दक्षिणी दिशा काल पुरूष का बाया सीना, किडनी, बाया फेफड़ा आते है। एवं कुण्डली का दशम घर है। कन्या, कर्कऔर मकर राशि वालो को दक्षिण मुखी भवन बनाना चाहिए।
दक्षिणी दिशा काल पुरूष का बाया सीना, किडनी, बाया फेफड़ा आते है। एवं कुण्डली का दशम घर है। कन्या, कर्कऔर मकर राशि वालो को दक्षिण मुखी भवन बनाना चाहिए।
1 दक्षिणाभिमुखी मकान में सड़क़ से सटा कर मकान बनाना चाहिये। अगर आगे जगह ज्यादा खुल्ली रख दी है तो धन नाश के अलावा महिलाओ की वजह से अस्पतालो में पैसा खर्च होगा।
2 दक्षिणाभिमुखी अगर कुण्डली में काम कर जाये तो अगर कुण्डली दक्षिणाभीमुखी बताती है तो दक्षिणाभिमुखी मकान गृहस्वामी को धन से मालामाल कर देती है।
3 दक्षिण में बच्चो की पढ़ाई का कमरा होगा तो बच्चो की पढ़ाई में व्यवधान होगा।
4 अगर दक्षिण दिशा का फर्श नीचा होगा तो घर की मालकीन बीमार रहेगी।
5 दक्षिण में किसी भी प्रकार का खड्डा, नीचा स्थान, सेफ्टिक टेंक ज्यादा खुल्ला स्थान होने पर महिलाओ को असहाय रोग रहेगा।
6 दक्षिणाभिमुखी मकान का गेट अगर नैऋत्य की तरफ होगा तो घर में अकाल मृत्यु, आत्महत्या, शत्रुभय, धन्धे में घाटा एवं मालिक का दिमाग अस्थिर, चोरी का भय रहेगा।
2 दक्षिणाभिमुखी अगर कुण्डली में काम कर जाये तो अगर कुण्डली दक्षिणाभीमुखी बताती है तो दक्षिणाभिमुखी मकान गृहस्वामी को धन से मालामाल कर देती है।
3 दक्षिण में बच्चो की पढ़ाई का कमरा होगा तो बच्चो की पढ़ाई में व्यवधान होगा।
4 अगर दक्षिण दिशा का फर्श नीचा होगा तो घर की मालकीन बीमार रहेगी।
5 दक्षिण में किसी भी प्रकार का खड्डा, नीचा स्थान, सेफ्टिक टेंक ज्यादा खुल्ला स्थान होने पर महिलाओ को असहाय रोग रहेगा।
6 दक्षिणाभिमुखी मकान का गेट अगर नैऋत्य की तरफ होगा तो घर में अकाल मृत्यु, आत्महत्या, शत्रुभय, धन्धे में घाटा एवं मालिक का दिमाग अस्थिर, चोरी का भय रहेगा।
7 अगर दक्षिण दिशा में कहीं भी दरार पड़ गई होतो गृहस्वामी का समय उसी दिन से खराब हो जायेगा और धीरे-धीरे समय में परिवर्तन के साथ गृहस्वामी दुःखी होता जायेगा।
8 दक्षिण भाग सबसे ऊँचा होने पर हर जगह विजय होगी। गृहस्वामी कभी भी कर्जदार नहीं रहेगा।
9 दक्षिण में पूजा स्थल होगी तो वह एक नाम मात्र की पूजा होगी। पूजा का फल कभी भी नहीं मिलेगा।
10 दक्षिण दिशा में ख़ाली जगह ज्यादा होने पर आर्थिक हानि एवम् झगडे होंगे। इस कारण यह स्त्रियों के लिए अशांतिकारक सिद्ध होगा।
समाधान
1. मैंन गेट पर स्वास्तिक के चिन्ह लगाये।
2. दक्षिण दीवार पर बड़े पहाड़ की सिनहरी लगाये।
3. दक्षिण का मैंन गेट सुन्दर बनाये।
4. भैरव या हनुमान की उपासना करें।
5. दक्षिणावृति सूंड वाले गणपति द्वार के अन्दर-बाहर लगावें
9 दक्षिण में पूजा स्थल होगी तो वह एक नाम मात्र की पूजा होगी। पूजा का फल कभी भी नहीं मिलेगा।
10 दक्षिण दिशा में ख़ाली जगह ज्यादा होने पर आर्थिक हानि एवम् झगडे होंगे। इस कारण यह स्त्रियों के लिए अशांतिकारक सिद्ध होगा।
समाधान
1. मैंन गेट पर स्वास्तिक के चिन्ह लगाये।
2. दक्षिण दीवार पर बड़े पहाड़ की सिनहरी लगाये।
3. दक्षिण का मैंन गेट सुन्दर बनाये।
4. भैरव या हनुमान की उपासना करें।
5. दक्षिणावृति सूंड वाले गणपति द्वार के अन्दर-बाहर लगावें
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