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आचार्य रणजीत स्वामी
9412326907
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को
देवोत्थानी,देवउठनी एवं प्रबोधिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस
बार देवोत्थानी एकादशी 10 और 11 नवंबर को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार
इस दिन चार माह के बाद भगवान श्री हरि विष्णु शयनावस्था से जागृत अवस्था
में आते हैं। इसलिए देवोत्थानी एकादशी को वर्षभर में पड़ने वाली एकादशी
तिथियों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। देवोत्थानी एकादशी से सभी मंगल
कार्य शुरू हो जाते हैं। जिन दंपतियों की संतान नहीं होती उन्हें एक बार
तुलसी का विवाह कर कन्यादान अवश्य करना चाहिये .
तुलसी विवाह संपन्न कराने के लिए एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए और तुलसी
जी के साथ विष्णु जी की शालीग्राम रूप में घर में स्थापित करनी चाहिए ।
तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति को पीले वस्त्रों से सजाना चाहिए
।तुलसी विवाह के लिए तुलसी के पौधे को सजाकर उसके चारों तरफ गन्ने का मंडप
बनाना चाहिए . तुलसी जी के पौधे पर चुनरी या ओढ़नी चढ़ानी चाहिए . इसके बाद
जिस प्रकार एक विवाह के रिवाज होते हैं उसी तरह तुलसी विवाह की भी रस्में
निभानी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य रणजीत स्वामी के अनुसार देवोत्थानी एकादशी के व्रत को सभी
एकादशियों में सबसे श्रेष्ठ फल देने वाला माना गया है। इस दिन तुलसी विवाह
का विशेष महत्व है। देवोत्थानी एकादशी के दिन तुलसी विवाह की परंपरा सदियों
से चली आ रही है। इस दिन श्री हरि विष्णु की प्रतिमा या उनके शालीग्राम
रूप के साथ तुलसी का विवाह संपन्न किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से
लक्ष्मी-नारायण और तुलसी का पूजन किया जाता है। देवोत्थान एकादशी के दिन से
चार माह से रुके हुए मंगल कार्यों का आरम्भ होता है।
देवोत्थानी एकादशी को हिंदू पंचांग के अनुसार स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया
है। अर्थात इस दिन किसी भी मंगल या शुभ कार्य को करने के लिए पंचांग
शुद्धि की आवश्यकता नहीं होती। इस दिन आरंभ किए गए कार्यों में सफलता
प्राप्त होती है। इसलिए इस दिन को विवाह, सगाई, नींव पूजन, गृह प्रवेश,
वाहन खरीदारी, व्यापार या नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ माना गया है।
इस बार देवोत्थानी एकादशी तिथि 10 और 11 नवंबर दो दिन होगी। 10 नवंबर
गुरुवार को 11 बजकर 21 मिनट से एकादशी तिथि शुरू होगी, जो अगले दिन 11
नवंबर शुक्रवार को सुबह 9 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। ऐसे में देवोत्थानी
एकादशी का प्रभाव तो दोनों ही दिन रहेगा, लेकिन 10 नवंबर का मंगल कार्यों
और स्वयं सिद्ध मुहूर्त के लिए ज्यादा महत्व है। सूर्योदयकालीन एकादशी 11
नवंबर को होने के कारण तुलसी विवाह के लिए यह दिन श्रेष्ठ है। इस दिन अमृत
सिद्धि योग,सवार्थ सिद्धि योग एवं प्रातः 9 :14 से राज योग भी बन रहा है।
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