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खबर - पवन दाधीच
खिरोड़ गौशाला में भागवत कथा महोत्सव का तीसरा दिन
खिरोड़ -खिरोड़ की श्रीजी जानकीनाथ गौशाला में गौसेवार्थ चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव के तीसरे दिन शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इस मौके पर कथा प्रवचन करते हुए व्यासपीठ से कथा वाचक पं. परमेश्वालाल शास्त्री ने का कि अच्छी संगत करने से ही मनुष्य को सद्मार्ग मिलता है और उसी सद्मार्ग के माध्यम से मनुष्य का जीवन सफल एवं सार्थक बन पाता है और मनुष्य को अच्छी संगत अच्छे लोगों के साथ संगत करने से मिलती है। पं. शास्त्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि बड़े बुजूर्गो की सेवा करने से मनुष्य को अच्छे फल की प्राप्ति होती है और उनके अनुभवों का ज्ञान मिलता है। इसलिए सज्जनों बड़े बुजूर्गो की सेवा करके उनके अनुभवों के ज्ञान को प्राप्त करें ताकि जीवन में किसी तरह की कठिनाई नहीं आए। पं. शास्त्री ने भागवत कथा के अनेक प्रसंगों को संगीतमय भजनों के माध्यम से विस्तार पूवर्क समझाया। इस मौके पर बीरबल सिंह गढ़वाल, गंगाधर सिंह गढ़वाल, रीटायर्ड डीप्टी सुमेर सिंह, सुगन सिंह, फतेहचंद दर्जी, दिनेश शर्मा, भोम सिंह, शंकरलाल पारीक, मूल सिंह, भागीरथमन गढ़वाल, हनुमानराम डूडी, शक्ति सिंह, बंशीधर शेषमा, प्रहलाद यादव, रतनलाल शर्मा, महावीर प्रसाद शर्मा आदि मौजूद थे।
खिरोड़ -खिरोड़ की श्रीजी जानकीनाथ गौशाला में गौसेवार्थ चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव के तीसरे दिन शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इस मौके पर कथा प्रवचन करते हुए व्यासपीठ से कथा वाचक पं. परमेश्वालाल शास्त्री ने का कि अच्छी संगत करने से ही मनुष्य को सद्मार्ग मिलता है और उसी सद्मार्ग के माध्यम से मनुष्य का जीवन सफल एवं सार्थक बन पाता है और मनुष्य को अच्छी संगत अच्छे लोगों के साथ संगत करने से मिलती है। पं. शास्त्री ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि बड़े बुजूर्गो की सेवा करने से मनुष्य को अच्छे फल की प्राप्ति होती है और उनके अनुभवों का ज्ञान मिलता है। इसलिए सज्जनों बड़े बुजूर्गो की सेवा करके उनके अनुभवों के ज्ञान को प्राप्त करें ताकि जीवन में किसी तरह की कठिनाई नहीं आए। पं. शास्त्री ने भागवत कथा के अनेक प्रसंगों को संगीतमय भजनों के माध्यम से विस्तार पूवर्क समझाया। इस मौके पर बीरबल सिंह गढ़वाल, गंगाधर सिंह गढ़वाल, रीटायर्ड डीप्टी सुमेर सिंह, सुगन सिंह, फतेहचंद दर्जी, दिनेश शर्मा, भोम सिंह, शंकरलाल पारीक, मूल सिंह, भागीरथमन गढ़वाल, हनुमानराम डूडी, शक्ति सिंह, बंशीधर शेषमा, प्रहलाद यादव, रतनलाल शर्मा, महावीर प्रसाद शर्मा आदि मौजूद थे।
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