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भागवत में दिया कन्या भ्रुण हत्या नहीं करने और गौ सेवा का संदेश

रिपोर्ट - राजकुमार चोटिया 

सुजानगढ-दुलिया बास में टोडू जी की चक्की के पीछे स्थित बालाजी मन्दिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन व्यासपीठ पर विराजमान कथावाचक हरिशरण जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाहों का वर्णन करते हुए गर्भ में शिशु की हत्या करने से बढकर दूसरा कोई पाप नहीं है। महाराज ने कहा कि गर्भ में कन्या भ्रुण की हत्या करवाने पर आप अपने पुत्र के लिए बहु कहां से लाओगे। बिना बेटी के बहू का सपना लेना छोड दो। महाराज ने कहा कि शिक्षा के
साथ-साथ बच्चों में संस्कारवान बनायें। कथा में महाराज ने सुदामा चरित्र सहित अनेक प्रसंगों का मार्मिक वर्णन करते हुए गलियों में घुमने वाली आवारा गायों की सेवा करने तथा गाय को रोटी व गुड देने का आह्नान किया। महाराज ने कथा के दौरान कृष्ण-रूकमणी, कृष्ण -सुदामा की सजीव झांकिया सजाई गई। कथा के समापन पर सोमवार शाम को कथास्थल से गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकली। जो शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए संकट मोचन हनुमान मन्दिर पंहूची। बजरंगलाल सोनी ने अपनी पत्नी सुमनदेवी के साथ भागवत जी को सिर पर धारण कर मन्दिर पंहूचाया। शोभायात्रा मंे अनेक महिला एवं पुरूष शामिल थे।