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बीकानेर। ओम ना श्यूसी स्वां ओम बिखां व्योम...,बीरा भात भरणै आयो...,म्हानै मायरो भरतां ने परख्यो जी...,जैसे मांगलिकों गीतों की स्वर ध्वनियों से पूरा शहर गूजंयानमान है। हर गली मौहल्ले में रात्रि में कही यज्ञोपवित तो कही विवाह के लिये गणेश परिक्रमा की जा रही है। गणेश परिक्रमा की रस्म अदायगी के दौरान बड़ी संख्या में परिजन,मौहल्ले के लोग व रिश्तेदार उच्चे उच्चे स्वरों में इन मांगलिक गीतों को गाते है तो जिस राह से वे निकलते है वहां इन दृश्यों को देखने वालों का हुजूम हो जाता है और वे भी इन गीतों में अपनी टेर मिलाकर वातावरण को और भी रमणिक बना देते है। इतना ही नहीं भाई अपने बहन के घर भात भरने की रस्म भी अदा कर रहे है। परकोटे और उसके आसपास के क्षेत्र में हर एक व्यक्ति समय निकालकर इस कार्यक्रमों में अपनी उपस्थित दर्ज करवता नजर आ रहा है।
आज होगें यज्ञोपवित संस्कार: हिन्दु परम्परा में यज्ञोपवित संस्कार 16 संस्कारों में से एक है,जिसका निर्वहन गुरूवार को सैकड़ों की तादात में पुष्करणा सावे के दौरान किया जायेगा। कही एक साथ एक घर में तीन से चार बटुक काशी की जिद के लिये दौड़ लगायेंगे। उनके पीछे होंगे उनके परिजन। बाद में ननिहाल पक्ष के लोग बटुकों के लिये नये परिधान लाएंगे और उन परिधानों को पहन वह बटुक अपने ननिहाल सभी का आशीर्वाद लेने जायेगा। इस तरह यज्ञोपवित संस्कार की परम्परा का निर्वहन होगा।
सेवा संस्थाएं पूरी तरह से मुस्तैद हो गई है। कंट्रोल रेट पर खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। शुक्रवार को कई स्थानों पर यज्ञोपवित संस्कार कार्यक्रम आयोजित हुए। । बटुकों के यज्ञोपवित संस्कार के दौरान घर-घर में धर्म की मान्यता के अनुसार यज्ञोपवित धार्मिक अनुष्ठान, पूजन ,हवन हुए। परम्परा के अनुसार काशी के लिए दौड़ भी लगाई। हाथ में घोटा, पाटी, लोटडी लेकर भागते हुए बटुकों को पकडने के लिए उनके परिवारजनों ने भी दौड़ लगाई।
सजने लगे है घर-मोहल्लें
पुष्करणा सावे को लेकर अन्दरूनी शहर में घर मोहल्लें सजने शुरू हो गए हैं। जिन घरों व मोहल्लों में विवाह समारोह है, वहा रंग-बिरंगी रोशनियों के साथ चमकीली डोरियो व फर्रियो से घर मोहल्लो को सजाया जा रहा है। सजावट में इलैक्ट्रिक सामानो का अधिक उपयोग किया जा रहा है। घर-घर में रंग-बिरंगे कागजो से बनी आकृतियों व सजावटी फूल -पत्तियों से भी घर-आंगन सजाये जा रहे है। जिन घरों के आंगन में चंवरी होनी है वहा राधा-कृष्ण व शिव-पार्वती के चित्र भी लगाए जा रहे है। पुष्करणा सावा जो सदैव शिव-पार्वती के नाम से ही निकाला जाता है।
दावों की खुल रही है पोल
पुष्करणा सावे से पूर्व परकोटे के अन्दरूनी क्षेत्रों में सफाई, प्रकाश , पेच वर्क व आवारा पशुओं को हटाने के लिए निगम प्रशासन की ओर से किए दावे अभी खोखले साबित हो रहे है। सावे व यज्ञोपवित के दिनों में ज्यादा दिन नहीं है फिर भी नत्थूसर गेट के बाहर व भीतर सडक़े गंदले पानी से सरोबार है। यहां से निकला दूभर है । सडको पर पडे गढ्ढें ,हर चौक -चौराहो पर लड रहे आवारा पशु निगम प्रशासन की पोल खोल रहे है। अनेक स्थानों पर सडकों पर फैल रहा कीचड, कचरे के ढेर सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे है। चही रियायती दरों पर रसद साम्रगी नहीं देने पर भी समाज के लोगों में रोष व्याप्त है।
वर वधू के विवाह हेतु ग्रह शांति का आयोजन
पुष्करणा सामूहिक सावा समिति के संयोजक एवं अध्यक्ष, कीकाणी व्यास पंचायती सम्पत्ति ट्रस्ट श्री नारायण दास व्यास ने बताया कि पुष्करणा सामूहिक सावा के अन्तर्गत पुष्करणा ब्राह्मण कन्याओं के सौभाग्य प्राप्ति हेतु तथा सर्वनिष्ठ निवारण हेतु विवाह समय के सर्व ग्रहों के दोषों को दूर करने के उद्देश्य से स्थानीय मन्दिर श्री बड़ा गोपालजी, दम्माणी चौक, बीकानेर में ग्रह शांति पाठ एवं पूजा का आयोजन रखा गया।श्री व्यास ने बताया कि विद्वान पण्डित श्री सुन्दरलालजी ओझा ‘चौथाणी’ के आचार्यत्व में विवाह समय भौम दोष, शुक्र दोष, बुध दोष, सूर्य दोष आदि दोषों को दूर किया गया। इस अवसर पर पण्डितों द्वारा महामृत्युंजय जाप, महारुद्राभिषेक आदि का भी आयोजन रखा गया।श्री गोपालदास व्यास ‘काला महाराज’ ने बताया कि पहले गणेश पूजन किया गया फिर महारूद्र भगवान की पूजा, नौ ग्रहों की पूजा के साथ विभिन्न ग्रहों के मंत्रों का जाप किया गया तथा पंचामृत से महादेव का अभिषेक किया गया तथा अन्त में महाआरती की गई।पुष्करणा ब्राह्मणों की कन्याओं के अखण्ड सौभाग्य के फल प्राप्ति हेतु 11 चौथाणी ओझाओं के कर्मकाण्डी पण्डितों द्वारा अभिषेक, जप एवं पूजन किया गया ताकि सूर्य आदि नौ ग्रह समस्त दोष दूर हो जावें।सावा समिति के संयोजक श्री नारायण दास व्यास ने बताया कि प्रत्येक सामूहिक सावे में पुष्करणा ब्राह्मणों की वर-वधू के सर्वनिष्ठ निवारण एवं सुखमय जीवन हेतु सावा समिति द्वारा सावे से पूर्व ऐसा आयोजन प्रत्येक सावे में किया जाता है। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भी दी जाती है ताकि पुष्करणा समाज की कन्याओं का विवाह सफलतापूर्वक आयोजित हो सके।
एक्सपर्ट व्यूज
पुष्करणा समाज परम्परागत आधुनिक समाज है जिसमे समय के साथ न केवल परिवर्तन हुआ है बल्कि अपनी
सालो पुरानी परम्पराओं को संजोये रखा है। आज की भौतिकवादी ताम-जाम छदम दिखावी संस्कृति
के युग मे पुष्करणा समाज का सामुहिक सावा और मितव्यता के सिद्वान्तो पर आधारित यह सावा अपने आप
में एक मौलिक जीवन शैली का उदाहरण है पुष्करणा समाज में आज भी कुछ पारिवारिक समूह ऐसे
है जो शादी के समय न तो खाना लेते है और न खाना देते है। कालाणी जोशी समाज के गोपीनाथ परिवार के लोग आज भी अपने पुत्र की शादी में खाना नहीं लेते 1949 मे घटित घटना के समय परिवार के बुजुर्ग चार भाई भाईयोजी जोशी, मथरा दास जोशी, जवाहरमल जोशी और द्वारका दास जोशी ने संयुक्त रूप से संकल्प लिया कि उनके परिवार के लडके की शादी में अब कभी खाना नहीं लेंगे क्योकि खाने के कारण यदि संबंधी को समाज में नीचा देखना पडे तो
ऐसे खाने की परम्परा का कोई महत्व नही सगा-सगे की जड होती है एक की इज्जत दुसरे की इज्जत होती
है। यदि खाने मे उच्च-नीच होने पर लडकी वालो को यदि लज्जित होना पडे तो ऐसी रिति को समाप्त कर देने चाहिये। पूर्वजो द्वारा लिये गये संकल्पो को उनकी चौथी पीढी आज भी पूर्ण आदर के साथ निभा रही है। यह अपने आप मे समाज सुधार की दृष्टि से एक क्रान्तिकारी पहल है जिस पर पुष्करणा समाज को गर्व है।
डॉ राजेन्द्र जोशी,व्याख्यता,श्री जैन कन्या महाविद्यालय
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