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कलश यात्रा के साथ बख्ताबाबा आश्रम मे भागवत कथा शुरू
भीलवाड़ा 4 फरवरी। चित्रकूट धाम (उत्तरप्रदेश) के कर्मयोगी आनन्द महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत ऐसा ग्रंथ है जिसमंे व्यक्ति का जन्म होने से लेकर उसके मरण तक किस प्रकार जिया जाए, इसका राज छिपा है। जो व्यक्ति श्रीमद् भागवत के सार को अपने जीवन में उतारकर उसका पालन करते हुए आगे बढ़ता है वह व्यक्ति मनुष्य जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य करता है।
तिलकनगर बख्ताबाबा रोड़ के समस्त क्षैत्रवासियों की और से बख्ताबाबा आश्रम में आयोजित 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के शुभारम्भ पर भागवत महात्म्य प्रसंग का वर्णन करते हुए उपस्थित सैकड़ो श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि भागवत व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है। साथ ही मोक्षप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। जो व्यक्ति श्रीमद् भागवत के नियमांे के अनुसार जीवन जीता है उसका जीवन सुखमय व लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अग्रसर होने वाला होता है।
कथा के शुभारम्भ से पूर्व बख्ताबाबा आश्रम 51 कलशों की भव्य कलश यात्रा निकाली गई जो क्षेत्र के विभिन्न मार्गों से होती हुई पूनः कथास्थल पहंुची जहां विधिविधानपूर्वक श्रीमद् भागवत जी को स्थापित किया गया। कलश यात्रा में पीतवस्त्र व चुनरी पहने महिलाओं के साथ-साथ श्वेत वस्त्र पहने श्रद्धालु भी बारी-बारी से श्रीमद् भागवत जी को सिर पर धारण करे हुए चल रहे थे। वहीं उनके पीछे कर्मयोगी आनन्द महाराज संगीतमय भजनों की धुन के बीच श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पव्वर्षा कर शोभायात्रा को भव्य बनाया।
आयोजन समिति के ज्ञानमल खटीक एवं जी.पी. खटीक ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से सायं 5 बजे तक चलेगी। उन्होंने कथा में शामिल हो धर्मलाभ लेने की श्रद्धालुओं से अपील की है।
भीलवाड़ा 4 फरवरी। चित्रकूट धाम (उत्तरप्रदेश) के कर्मयोगी आनन्द महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत ऐसा ग्रंथ है जिसमंे व्यक्ति का जन्म होने से लेकर उसके मरण तक किस प्रकार जिया जाए, इसका राज छिपा है। जो व्यक्ति श्रीमद् भागवत के सार को अपने जीवन में उतारकर उसका पालन करते हुए आगे बढ़ता है वह व्यक्ति मनुष्य जीवन के लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य करता है।
तिलकनगर बख्ताबाबा रोड़ के समस्त क्षैत्रवासियों की और से बख्ताबाबा आश्रम में आयोजित 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के शुभारम्भ पर भागवत महात्म्य प्रसंग का वर्णन करते हुए उपस्थित सैकड़ो श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि भागवत व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है। साथ ही मोक्षप्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। जो व्यक्ति श्रीमद् भागवत के नियमांे के अनुसार जीवन जीता है उसका जीवन सुखमय व लक्ष्य की प्राप्ति की ओर अग्रसर होने वाला होता है।
कथा के शुभारम्भ से पूर्व बख्ताबाबा आश्रम 51 कलशों की भव्य कलश यात्रा निकाली गई जो क्षेत्र के विभिन्न मार्गों से होती हुई पूनः कथास्थल पहंुची जहां विधिविधानपूर्वक श्रीमद् भागवत जी को स्थापित किया गया। कलश यात्रा में पीतवस्त्र व चुनरी पहने महिलाओं के साथ-साथ श्वेत वस्त्र पहने श्रद्धालु भी बारी-बारी से श्रीमद् भागवत जी को सिर पर धारण करे हुए चल रहे थे। वहीं उनके पीछे कर्मयोगी आनन्द महाराज संगीतमय भजनों की धुन के बीच श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पव्वर्षा कर शोभायात्रा को भव्य बनाया।
आयोजन समिति के ज्ञानमल खटीक एवं जी.पी. खटीक ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 1 से सायं 5 बजे तक चलेगी। उन्होंने कथा में शामिल हो धर्मलाभ लेने की श्रद्धालुओं से अपील की है।
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