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रामकथा कलियुग में कल्पवृक्ष के समान है - संत प्रकाशानंद महाराज


भीलवाड़ा। रामकथा कलियुग में कल्पवृक्ष के समान है। यह मनुष्य की सभी कामनाओं को पूरा करने वाली कथा है। रामकथा मनुष्य को राम बनने की प्रेरणा देती है। मनुष्य के दुखों को हर कर उसे धर्म मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है। यह बात आजादनगर में श्री रामकथा महोत्सव सेवा समिति सेक्टर आजादनगर के तत्वावधान में कथा वाचक संत प्रकाशानंद महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि अपने आप को जान लो यही सबसे बड़ा ज्ञान है। रामकथा मर्म की कथा है, जो इसे समझ गया उसका बेड़ा पार है। संत ने कहा कि हमारा शरीर रामजी से मिलने का एक साधन है, इसे व्यर्थ ना गवाएं। शरीर रहते अगर आत्मा शरीर से अलग हो जाए तो समझना कि हमारा जीते जी मोक्ष हो गया है। महाराज ने कहा कि दुनिया के लिए सब रोते हैं, लेकिन कोई भगवान के लिए रो दे तो उसका भव से बेड़ा पार है। कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह प्रसंग का भी आयोजन हुआ। पांडाल में सजाई गई शिव-पार्वती की झांकी आकर्षण रही। शिव-पार्वती के जयकारों के साथ विवाह हुआ। 11 जनवरी तक रोज दोपहर एक से शाम पांच बजे तक हो रही है।
भजनों पर झूमे श्रद्धालु:- कथा के दौरान संत ने गुरुदेव सहारा तेरा..., सतगुरु एक तू ही आधार..., मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में... चले हैं भोले बाबा निराले...भजन प्रस्तुत किए तो श्रोता झूम उठे। महिलाएं बच्चे पांडाल में नाचने लगे।