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अजमेर। ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेला कार्तिक पूर्णिमा स्रान व पुरस्कार वितरण समारोह के साथ सम्पन्न हो गया। मेला मैदान पर आयोजित रंगारंग समापन समारोह में विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, कला जत्था परेड़ एवं पशु परेड आकर्षण का केन्द्र रही। मेले में आए श्रद्धालुओं, पशुपालकों व देशी-विदेशी पर्यटकों के हर्षोल्लास व उमंग के चलते यहां चप्पे-चप्पे में उत्सवी रंग बिखरा नजर आया। मेले के समापन अवसर पर भी नवनियुक्त जिला कलक्टर डॉ आरुषि ए मलिक ने शिरकत नहीं की। मेले के आरम्भ के पश्चात हॉट ऐयर बैलून पर व ऊंट गाड़ी पर मेले का लुत्फ उठाने को लेकर मीडिया में छपी खबरों से खिन्न कलक्टर ने मेले प्रारम्भ होने के दूसरे दिन से ही दूरी बना ली थी।
मुख्य अतिथि प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं पशुपालन विभाग राजेश्वर सिंह ने कहा कि मेले देश की सांस्कृतिक धरोहर है, इन मेलों में गौरवशाली अतीत व सांस्कृतिक समागम से परिचित होने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि पुष्कर मेला बहुआयामी है यहां संस्कृति, धर्म, पर्यटन एवं पशु विक्रेताओं का अनूठा संगम देखने को मिलता है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं। पशु पालन विभाग के संयुक्त निदेशक एवं मेलाधिकारी डॉ. गुलाब चन्द जिंदल ने पुष्कर मेला रिपोर्ट प्रस्तुत की। समारोह की अध्यक्षता कर रहे संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने कहा कि पुष्कर मेले में संस्कृति के कई रूप रंग एक ही स्थान पर नजर आते हंै। पंचतीर्थ स्रान का आध्यात्मिक महत्व है वहीं पशुपालकों, पशुओं का जमावडा इसे अलग ही स्वरूप दे देता है। देशी-विदेशी सैलानी मेले के दौरान भारतीय संस्कृति के विविध रूपों से यहां परिचित होते है। मेलें में गरीब व अमीर एक साथ पुष्कर के 52 घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा पर पंचतीर्थ स्रान कर आध्यत्मिक आनंद प्राप्त करते है। साथ ही सांस्कृतिक समागम के अनूठे स्वरूप से भी परिचित होते हंै। इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ गीर पशु, सर्वश्रेष्ठ दुधारू पशु, हालस्टिक गाय के पशुपालकों को पुरस्कार प्रदान किए गए। पशुपालकों ने विजेता पशुओं के साथ पशु परेड में भाग लिया। इसके बाद मेला मैदान पर ऊंट परेड, टग आॅफ वार, जलेबी रेस, वॉटर पॉट रेस आदि प्रतियोगिताएं भी हुई जिनका सैलानियों व स्थानीय लोगों जमकर लुत्फ उठाया। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
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