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जीव मात्र परिक्षित है - स्वामी नित्यानन्द गिरि






   
     नवलगढ़ - परिक्षित को श्राप लगा कि सात दिन में मर जाओगे तो जीव मात्र को 7 दिन में ही मरना है। शनिवार से रविवार 7 ही दिन है। इनमें से किसी भी दिन हमें भी मरना है। परिक्षित को सत अपराध के कारण मृत्यु का श्राप लगा। भक्तों का संतो का अपमान कभी नहीं करना चाहिए इससे बड़ा पाप होता है। और भगवान नाराज हो जाते हैं परिक्षित ने संतो के गले में सांप डाला तो उसकी मृत्यु का कारण बना बड़ों के अपमान से आयु नष्ट हो जाती है। उक्त विचार ऋषिकेष से आये स्वामी नित्यानन्द गिरी ने आठो हवेली में भागवत कथा के दूसरे दिन वक्त किये।
     स्वामी जी ने बताया कलियुग 5 स्थानों में रहता है। जुआ, षराब पर स्त्री पर पुरूष गयन, मासांहार और अन्याय का धन इन पाॅचों स्थानों से बचना चाहिये। अगर टेंषन फ्री रहना है तो। बाद में स्वामी जी ने कहा कथा मृत्यु के भया से छुड़ाती है कोई षुकदेव की कोटी का संत मिल जाये तो जीवात्मा परमात्मा से मिल जाता है। मृत्यु के भय से म ुक्त हो जाता है। बाराह अवतार लेकर भगवान पृथ्वी की रक्षा करते है वे हिरन्याक्ष का वध करते है। दिति माता के घर कष्य ऋषि से हिरन्याक्ष का जन्म होता है। सायं काल गर्भ-धारण करने से राक्षस पैदा हुआ।
     सांय काल ये 4 काम नहीं करने चाहिये भोजन करना सोना, स्वाध्याय और मैथुन। सायं काल सूर्य अस्त और प्रातः काल सूर्योदय सन्ध्या समय दूसरे काम छोड़कर भगवद स्मरण संध्या वदंन ही करें तो घर में लक्ष्मी का वास होता है। और नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है।
     सुर्योदय और सुर्योस्त से 24 मिनट पूर्व और 24 मिनट पष्चात कुल 48 मिनट संध्या समय कहलाता है। बच्चों को भी संस्कार डालों कि उस समय वो भजन ध्यान करें।
     कपिल भगवान सांध्य षास्त्र के प्रणेता है। आर्चाय है। माता देवहुति को उपदेष देते है कि आत्मा-परमात्मा देखों एक है। जीव भोग वासना के कारण ईष्वर से अलग हो गया है। सत्संग से वह अपना स्वरूप प्राप्त कर सकता है। सत्संग सभी साधनों का मूल है। सारी समस्याओं का समाधान सत्संग से प्राप्त होता है। कथा समापन पर सेक्सरिया परिसर में बताया कथा 2 नवम्बर तक 2 से 5 तथ 3 नवम्बर को सुबह 9 से 12 होकर 3 को ही समापन होगी। सुबह 9 से 10 गीता क्लाष व रात्रि 8 से 9 प्रष्नोतर कार्यक्रम रहता है।