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विवाह की वेदी पर जब दुल्हन आई ,
प्यारी सी मूरत उसके दिल में समाई ,
सोचा था उसका पति उसे पलकों पर बिठाएगा ,
नाज नखरो से उसका दिल मचल जायेगा,
लेकिन जब दुल्हन ने ससुराल में कदम रखा,
अपनी सास के कटु शब्दों का स्वाद चखा ,
बहु तू दहेज़ बड़ा ही कम लाई है,
अपनी माँ के यहाँ से खाली हाथ आई है
रोज बहु को ताने सुनने पड़ते ,
पति और सास रोज उससे लड़ते ,
विवश दुल्हन एक दिन लाचार हो गई,
और आत्महत्या करने को मजबूर हो गई,
प्यारी सी मूरत उसके दिल से निकल गई,
विवाह की वेदी शमसान में ही जल गई,
सुनीता खाण्डल
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