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शरीर नाष्वान, आत्मा अमर- महामण्डलेष्वर


भीलवाड़ा ।  शरीर नाष्वान है और आत्मा अमर हेै।जिस व्यकित ने जन्म लिया है उसे एक दिन यह शरीर त्यागना हैे। यह कहना है महामण्डलेष्वर स्वामी जगदीष पुरी महाराज का।अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज-निचिकेता प्रसंग पर उद्बोधित करते हुए स्वामी जी ने बताया कि निचिकेता मृत्यु के दूत यम से संसार के जन्म मरण के चक्र पर अपना संषय दूर करने के लिये पूछता है।  कि  संसार में कोन ऐसा व्यक्ति है जिसकी मृत्यु नहीं होती हे। इस पर यमराज उसकी जिज्ञासा शांत करते हुए बताते हैं कि चाहे भूलोक हो अथवादेवलोक जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु होना निष्चित हेै। मानव ही नहीं देवताओं की भी मृत्यु होती है। बस कोई ज्यादा समय जीता है।जिस प्रकार एक मच्छर की आयु हमारे लिये कोई मायने नहींरखती और वो पलक झपकते ही मर जाता है उसी प्रकारदेवताओं के लिये मानवों की आयु भी कोई मायने नहीं रखती लेकिन मृत्यु शाष्वत सत्य है इसे कोई नहीं बदल सकता। धर्मसभा को संत महेन्द्र चैतन्य ने  भजन से संगीतमय बनाया।संपूर्ण ब्राह्मण महिला मण्डल द्वारा चातुर्मास सेवा सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न सेवाकार्य एवं आयोजन करवाये जा रहे हैं। समाज का चातुर्मास समिति के टी.सी. चैधरी, भरत व्यास व संजय निमोदिया आदि  ने स्वागत किया एवं अतिथियों ने माल्यार्पण कर महामण्डलेष्वर का आषीर्वाद प्राप्त किया।  समिति द्वारा आगामी 2 से 9 सितम्बर 2014 भागवत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है जिसके यजमान बनने हेतु समिति सदस्यों से संपर्क किया जा सकता है।

पंकज पोरवाल
भीलवाड़ा