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भीलवाड़ा । शरीर नाशवान है। एक दिन इसे मिट्टी में मिलना है। आत्मा अजर अमर है यह जन्म-जन्मों तक चोले बदलती रहती हेै। यह कहना है महामण्डलेश्वर स्वामी जगदीष पुरी महाराज का।अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज-निचिकेता प्रसंग पर उद्बोधित करते हुए स्वामी जी ने बताया कि शरीर क्षणभंगुर है। किसी भी उम्र में यह समाप्त हो सकता हेै किन्तु आत्मा अजर-अमर है। वो कभी समाप्त नहीं होती। आत्मा शरीर बदलती रहती है। हमारी आत्मा सुक्षम है और जनम मरण भी शरीर के साथ चलते रहते हैं। टी.वी. का उदाहरण देते हुए महामण्डलेष्वर ने बताया कि टी.वी. का स्विच जब ओन किया जाता है तो टीवी चलती है और जब बंद किया जाता है तो टीवी भी बंद हो जाती है लेकिन टीवी पर प्रदर्षित होने वाला चलचित्र कभी बंद नहीं होती। हमारे घर की टीवी हमने बंद कर भी दी तो भी अन्य सभी टीवियों पर चलचित्र प्रदर्षित होता रहेगा। इसी प्रकार आत्मा ने अगर एक देह त्याग भी दी तो अन्य देहों में जीव उत्पन्न होता है यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया हेै। शरीर नष्ट हो जाता है किन्तु आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। जिस व्यक्ति का मन शुद्ध है उसका शरीर भी शुद्ध है और उसकी इन्द्रियां भी शुद्ध है। धर्मसभा को संत महेन्द्र चैतन्य ने ’’ रामनाम अति मीठा है ’’ भजन से संगीतमय बनाया।चातुर्मास समिति के टी.सी. चैधरी, भरत व्यास व संजय निमोदिया आदि ने अतिथियों का स्वागत किया एवं अतिथियों ने माल्यार्पण कर महामण्डलेष्वर का आषीर्वाद प्राप्त किया।
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