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रक्षा बंधन के पर्व की वैदिक विधि
.वैदिक रक्षा सूत्र बनाने की विधि
इसके लिए 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है .
1 दूर्वा ;घासद्ध
2 अक्षत ;चावलद्ध
3 केसर
4 चन्दन
5 सरसों के दाने ।
इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में लेकर उसे बांध दें या सिलाई कर देंए फिर उसे कलावा में पिरो दें, इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी ।
इन पांच वस्तुओं का महत्त्व .
1 दूर्वा . जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेज़ी से फैलता है और हज़ारों की संख्या में उग जाता हैए उसी प्रकार मेरे भाई का वंश और उसमे सदगुणों का विकास तेज़ी से हो । सदाचारए मन की पवित्रता तीव्रता से बदता जाए । दूर्वा गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैंए उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए ।
2 अक्षत . हमारी गुरुदेव के प्रति श्रद्धा कभी क्षत.विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे ।
3 केसर . केसर की प्रकृति तेज़ होती है अर्थात हम जिसे राखी बाँध रहे हैंए वह तेजस्वी हो । उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेजए भक्ति का तेज कभी कम ना हो ।
4 चन्दन . चन्दन की प्रकृति तेज होती है और यह सुगंध देता है । उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहेए कभी मानसिक तनाव ना हो । साथ ही उनके जीवन में परोपकारए सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे ।
5 सरसों के दाने . सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों कोए कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें ।
इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान .चित्र पर अर्पित करें । फिर बहनें अपने भाई कोए माता अपने बच्चों कोए दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे ।
इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं हम पुत्र.पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्ष भर सूखी रहते हैं ।
राखी बाँधते समय बहन यह मंत्र बोले
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलरू
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल
शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय
ष्अभिबन्धामि ष् के स्थान पर ष्रक्षबन्धामिष् कहे
और चाकलेट ना खिलाकर भारतीय मिठाई या गुड से मुहं मीठा कराएँ।
प्रभा बिस्सा
बीकानेर
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