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जयपर। जयपुर समर्पण श्याम परिवार की ओर से मालवीय नगर सेक्टर-3 सत्कार शॉपिंग सेन्टर के पास स्थित स्वामी चरणदास धाम मेंं स्वमी शिवकृपानंद स्वामी के जयपुर आगमन की द्वितीय वर्षगांठ के उपलक्ष में शनिवार को समर्पण महाध्यान शिविर का आयोजन हुआ। इसमें प्रदेश भर से साधक उमड़े। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथ योग प्रभा भारती ट्रस्ट के आजीवन ट्रस्टी नवसारी, गुजरात के अनुराग ने दीप प्रज्जवलन कर किया। इसके बाद उन्होंने साधकों को संबोधित करते हुए जीवन में सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और नियमित रूप से ध्यान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नकारात्मक सोच हमें जीवन में पथ भ्रमित करती है, जिससे व्यक्ति भटकाव की राह पर चल पड़ता है। इसलिए हमें जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति ही जीवन में आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि समर्पण ध्यान एक सरल ध्यान पद्धति है, जिससे कोई भी व्यक्ति बड़ी सहजता से अपना सकता है। यह ध्यान पद्धति 800 सालों से चली आ रही है। पूरे विश्व में प्रचलित हुई यह पद्धति अनुभूति पर आधारित है। इस पद्धति में साधक की कुंडलिनी, शक्ति जीवंत सद्गुरु की कृपा से जाग्रत होने से व्यक्ति ईश्वरीय अनुभूति को प्राप्त करता है। अनुभूति प्राप्त करने पर ध्यान नहीं करना पड़ता। समर्पण ध्यान में किसी भी प्रकार की योग क्रियाओं का समावेश नहीं है। इस पद्धति में व्यक्ति अपने अनुकूल मुद्रा में बैठकर ध्यान कर सकता है। इस पद्धति में जाति, धर्म, भाषा, वर्ण आदि का कोई बंधन नहीं है। समर्पण ध्यान लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है।
ने करीब एक घंटे समर्पण महाध्यान साधना की। इस अवसर पर गुरु वंदना कर ओउम् शिवकृपानंद स्वामी नमो नम: का नाम संकीर्तन भी किया गया। इससे पूर्व स्वामी शिवकृपानंद के चित्र को पालकी में विराजमान कर गाजेबाजे के साथ चरणदास धाम की परिक्रमा कराई। समर्पण ध्यान के बाद समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। इसमें कलाकारों ने भजन और नृत्य प्रस्तुत किए।
ने करीब एक घंटे समर्पण महाध्यान साधना की। इस अवसर पर गुरु वंदना कर ओउम् शिवकृपानंद स्वामी नमो नम: का नाम संकीर्तन भी किया गया। इससे पूर्व स्वामी शिवकृपानंद के चित्र को पालकी में विराजमान कर गाजेबाजे के साथ चरणदास धाम की परिक्रमा कराई। समर्पण ध्यान के बाद समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित हुए। इसमें कलाकारों ने भजन और नृत्य प्रस्तुत किए।
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