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जयपुर। पशुपालन मंत्री प्रभूलाल सैनी ने सोमवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि राज्य सरकार गोवंश के संरक्षण व संवद्र्घन के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि राज्य में इस वित्तीय वर्ष में गोवंश के संरक्षण संवद्र्घन के लिए 350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
सैनी ने प्रश्नकाल में विधायकों की ओर से इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों के जवाब में स्पष्ट किया कि गोवंश के संरक्षण व संवद्र्घन के लिए एक विशेष कार्य योजना तैयार की गई है। सरकार ने गोवंश के संरक्षण संवद्र्घन के उद्देश्य से गोपालन विभाग का गठन किया है। उन्होंने गोवंश को आवारा छोडऩे के सम्बन्ध में कहा कि अब गोवंश के पंजीयन के साथ टैगिंग भी करने की व्यवस्था होगी। उन्होंने यह भी कहा कि गोवंश को आवारा छोडऩे वालों के विरुद्घ कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने चारागाह संवद्र्घन व उत्थान के सम्बन्ध में कहा कि चारागाह संवद्र्घन व उत्थान का प्रत्येक ग्राम पंचायत का दायित्व बनता है। उन्होंने यह भी बताया कि राजस्थान गोवंश अधिनियम 1960 व 1964 में प्रावधान है कि जो भी संस्था या व्यक्ति गोशाला खोलने के लिए आवेदन करता है उसकी गोवंश के संरक्षण व संवद्र्घन की सम्पूर्ण जिम्मेदारी गोशाला संचालक मण्डल की बनती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी 1407 गोशालाएं संचालित हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि इन गोशालाओं में जो गोवंश है उसकी चिकित्सा की समुचित व्यवस्था सरकार करेगी तथा आकस्मिक बीमारियों की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा तत्काल चिकित्सा मोबाइल यूनिट भेजी जाएगी। सैनी ने बताया कि राज्य में गिरदावरी का समय 15 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक का निर्धारित होता है तथा विशेष परिस्थितियों में गिरदावरी का कार्य समय से पहले भी किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि अभावग्रस्त क्षेत्रों में संचालित गोशालाओं में अनुदान देने की व्यवस्था होती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभावग्रस्त क्षेत्र सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित होने के बाद ही माना जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार राठी, थारपारकर, सहीवाल व गीर नस्लों की गायों के संरक्षण व संद्र्घन के लिए कार्य योजना तैयार कर रही है। इससे पहले विधायक कैलाश चौधरी एवं डॉ. जसवन्त सिंह के मूल प्रश्नों के जवाब में सैनी ने बताया कि सरकार प्रदेश में गोवंश के संरक्षण और संवद्र्घन के लिए नई गोशालाएं खोलने का विचार नहीं रखती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार द्वारा गोशालाएं नहीं खोली जाती हैं।
उन्होंने बताया कि स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा राजस्थान गोशाला अधिनियम 1960 के अन्तर्गत गोशाला के पंजीकरण हेतु निर्धारित प्रपत्रों में आवेदन करने पर रजिस्ट्रार गोशाला द्वारा नि:शुल्क पंजीकरण किया जाता है। सैनी ने बताया कि प्रदेश में राजस्थान गोशाला अधिनियम 1960 के अन्तर्गत कुल 1407 गोशालाएं पंजीकृत हैं उन्होंने जिलेवार संख्या विवरण सदन के पटल पर रखा। उन्होंने बताया कि पांच वर्षों में प्रदेश की गोशालाओं को 349.68 करोड़ रुपये का अनुदान वितरित किया गया।
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