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 बीकानेर । शहर में आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। निगम  प्रशासन ने अनेकों बार अभियान चलाकर इन आवारा पशुओं को शहर के  बाहर खुले स्थान पर छोड़ा लेकिन अभियान समाप्त होते ही जैसे मानो ये आवारा  पशु फिर से शहर में अवतरित हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण शहरी क्षेत्र में  संचालित डेयरियां हैं जहां से नाकारा पशुओं को खुले में विचरण करने के लिए  छोड़ दिया जाता है। दूसरा कारण यह भी है कि शहर में जगह-जगह गंदगी के  ढेर लगे हैं जहां लोग सड़े-गले खाद्य पदार्थ फेंक देते हैं जिनके कारण इन  आवारा पशुओं को शहर में रहने-खाने में कोई दिक्कत नहीं आती। शहर के  किसी भी इलाके को देख लें चाहे कोटगेट, दाऊजी रोड़, अंबेडकर सर्किल,  तोलियासर भैंरूजी की गली, गंगाशहर रोड के मुख्य मार्ग हों या शहर के  भीतरी इलाकों की गलियां हर तरफ कचरे के ढेर पर मुंह मारते ये आवारा पशु  नजर आ जाएंगे। विशेष बात यह है कि सबसे ज्यादा पशु तो उन स्थानों पर  दिखाई देते हैं जहां निगम प्रशासन ने कचरा संग्रहण केन्द्र बना रखे हैं। ये कचरा  संग्रहण केन्द्र बने तो कचरे का निस्तारण करने के लिए थे लेकिन निगम  प्रशासन की उदासीनता के चलते यहां गंदगी के ढेर लगे रहते हैं जहां ये आवारा  पशु अपनी उदरपूर्ति करते देखे जा सकते हैं। इन गंदगी के ढेरों पर पशुओं को सड़ी-गली खाद्य वस्तुएं तो मिलती हैं लेकिन  साथ में यहां पड़ी पॉलिथिन की थेलियां भी खा लेते हैं। जिसके कारण ये गंभीर  बीमारियों की चपेट में आकर अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। बीते दिनों वेटेनरी अस्पताल में एक गाय का आॅपरेशन कर उसके पेट से  40-50 किलो पॉलिथीन निकाली गई। ऐसे ही हालात शहर के अन्य आवारा  पशुओं के हैं जिनके पेट में पॉलिथीन का भंडार भरा पड़ा है लेकिन इन आवारा  पशुओं की सुध ना तो आम नागरिक ले रहा है ना ही निगम प्रशासन।
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HINDU ASTHA

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