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केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरूद्धार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने आज राज्य सभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि पानी और स्वच्छता राज्य का विषय है। नदियों में प्रदूषण से संबंधित प्रमुख स्रोतों की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों और राज्य सरकारों की है। केन्द्र सरकार प्रदूषण की रोकथाम के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को केन्द्रीय सहायता प्रदान कर इस संबंध में प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) की शुरूआत से अब तक 48 शहरों में 76 योजनाओं के लिए 5004.19 करोड़ रूपये अनुमोदित किए गए हैं। इस संबंध में परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए मार्च 2014 तक 838.76 करोड रूपय खर्च किए जा चुके हैं। गंगा के लिए विस्तृत नदी बेसिन प्रबंधन योजना (जीआरबीएमपी) तैयार करने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय तथा 7 आईआईटी के बीच वर्ष 2010 में 10 वर्ष के लिए एक गठबंधन पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसके अतिरिक्त विभिन्न विश्वविद्यालय और अनुसंधान संगठन भी इस योजना में सम्मिलित हैं। इस संबंध में अंतरिम रिपोर्ट दी जा चुकी है, जिसे विचार-विमर्श के लिए विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और अंशधारकों को सौंपा गया है। आशा है कि दिसंबर 2014 तक विभिन्न अंशधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद योजना को तैयार किया जा सकेगा। सरकार गंगा के पुनरूद्धार पर विशेष ध्यान दे रही है। विभिन्न अंशधारकों जैसे पर्यावरण वन मंत्रालय, जल संसाधन, गंगा पुनरोद्धार और नदी विकास, शहरी विकास, पर्यटन, नौकायन, पेयजल वितरण और स्वच्छता, ग्रामीण विकास आदि के साथ-साथ विभिन्न शैक्षणिक, तकनीकी विशेषज्ञों और गंगा की सफाई से जुड़े गैर सरकारी संगठनों के साथ विचार-विमर्श जारी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराईड के स्तर की निगरानी कर रहा है। हालांकि गंगा और यमुना नदी में आर्सेनिक और फ्लोराईड के ऊंचे स्तर से संबंधित कोई विशेष जानकारी मंत्रालय के पास नहीं है।
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