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नई दिल्ली -पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय हरित ट्राइब्यूनल (एनजीटी) 2013 के आवेदन नंबर 299 में कृष्णकांत सिंह और अन्य बनाम राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण और अन्य के मामले में उतर प्रदेश में 956 इकाईयों की जांच के लिए आदेश दिए हैं। जिस पर उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी और प्रस्तावित चीजों पर स्थिति रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने गंगा नदी के किनारे स्थित मुख्य रूप से 764 उद्योगों की पहचान की है जो नदी को प्रदूषित करते हैं। इन उद्योगों से करीब 501 एमएलडी प्रदूषित जल शोधन के बाद नदी में डाला जाता है। सीपीसीबी ने 704 इकाईयों की जांच की और मानकों का पालन न करने वाली इकाईयों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। जल सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1974 और पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 के तहत 165 उद्योगों को पर्यावरण मानकों का पालन करने के निर्देश दिए गए। 48 जीपीआई इकाईयों को बंद करने की अधिसूचना जारी की गई। मंत्रालय ने बताया कि उनके पास पूरी गंगा नदी के किनारे की परियोजनाओं की संख्या के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2010 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की सिफारिश पर भागीरथी नदी पर तीन पन बिजली परियोजनाओं- लोहारी नागपाला, पाला मनेरी और भैरो घाटी को बंद कर दिया गया है। यह जानकारी जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरोद्धार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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