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लीले चढ़कर आज्या, कुण सा भाड़ा लाग स


;तर्ज(थोड़ा देता है या ज्यादा देता है)
दो दिन म कुण सा, तेरा खाटू भाग स,
लीले चढ़कर आज्या, कुण सा भाड़ा लाग स।। टेर ।।
तन तो घर पर आणा स, कुण सा मुहूर्त कढ़वाना स,
तन कुण ज्यादा राख जी, पाछ दरबार लगाना स,
व्यापार करे कुण सा, जो घाटा लाग स ।। 1 ।।
बता तू के लाग मेरा, तेर स के रिश्तेदारी,
तेर स प्यार कर बैठ्या, खुशामद कर रह्या हा थारी,
वरना तं कुण सी, म्हारी मांगत मांग स।। 2 ।।
तेरा यो लीला घोड़ा जी, खड्या बेकार म बाबा,
सवारी कुण सी लानी स, तन उधार मं बाबा,
गर काम नहीं आव, अन क्या ताईं राख स ।। 3 ।।
मेरे परिवार स बाबा, कि तेरा मेल कराणा स,
कि कुण सा काम कराणा स, कि कुण सा खेत जुताना स,
कर लीज्ये आराम, तेरा कमरा नाका स ।। 4 ।।
परायो समझो घर मेरो, तो तू एक काम कर बाबा,
कि घर को पट्टो ‘बनवारी’, तू तेर नाम कर बाबा,
इं बात को धोखो श्याम, क्यूँ दिल म राख स।। 5 ।।