तर्ज( दुनिया बनाने वाले)
गुरूवर दया स थारी, श्याम की ज्योत जगाई,
याद घनेरी म्हान आई थारी, याद घनेरी म्हान आई
।। टेर ।।
जद-जद म्हें श्यामजी क कीर्तन म आवाँ,
मन का भावाँ स देवा थाण बुलावाँ,
थारो भरोसो म्हान भोत घनेरो,
म्हें के बतावां थाण सगलो है बेरो,
अंगुली पकड़ क म्हान, थे ही तो राह दिखाई ।। 1 ।।
थारो तो साँवरिया स हेत पुराणो,
याद आव है थारो ठुमको लगानो,
रात दिवस थे तो मस्ती म रहता,
मन की थे साँवरिया से लिख कर क कहता,
थारै भजनां की म्हें तो, कितनी ही पोथी छपाई ।। 2 ।।
वन्दन स्वीकारो म्हारो जल्दी पधारो,
जँच क बैठयो है बाबो श्याम निहारो,
‘श्याम परिवार’ को ‘साँवरिया’ स नातो,
युग-युग तक चलतो रहसी अपनो यो खातो,
‘बिन्नू’ क हिवड़े म थे, भजनां की भूख बढ़ाई
।। 3
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