इस मंदिर का निर्माण सन 1920 के लगभग हुआ बताते है . इस मंदिर में की पूजा स्वर्गीय संत तुलसा राम सैनी ( बागवान ) किया करते थे . उनकी बालाजी महाराज में बहुत आस्था थी . कहा जाता है की संत तुलसा राम बालाजी महाराज से सीधी बात किया करते थे .
स्वर्गीय संत तुलसा राम सैनी ( बागवान ) के पुत्र संत श्री रामगोपाल जी सैनी
उनके परलोक सिधारने के बाद इस गद्दी को उनके बड़े पुत्र संत श्री रामगोपाल जी ने संभाला . आज इस मंदिर में जो भी आता है बालाजी महाराज उनकी इच्छा पूरी करते है.यहाँ किसी भी प्रकार का कोई लेन देन नहीं होता है अगर बालाजी महाराज अपने भक्तो की मुराद पूरी कर देते है तो उनसे केवल जानवरों को खिलाने के लिए अनाज डालने की लिए जरुर कहा जाता है . किसी भी प्रकार का कोई दबाब हाही होता है ये भी अगर आपका मन करता है तो डालिए . और कोई भक्त कुछ मंदिर के लिए करना चाहता है तो वो अपने मन से करे .
मंदिर में आने वाले सभी दुखी भक्तो को शरण मिलती है. बालाजी के मंदिर में आने के बाद कोई भी भक्त खली हाथ नहीं जाता है ये मंदिर झुंझुनू जिले के (मुकुंदगढ़) कसबे में है जो झुंझुनू जिले से लगभग २५ किलो मीटर है .और मुकुंदगढ़ से यह मंदिर ३ किलो मीटर फतेहपुर रोड पर स्थित है .
दिल्ली से यह लहभग 265 किलोमीटर है
जयपुर से यह लगभग 145 किलोमीटर है
जयपुर से अपने वाहन , बस और ट्रेन के साधन भी है और दिल्ली से केवल बस और अपने वाहन से आने का साधन है ,
मुकुंदगढ़ के गोपीनाथ मंदिर से इस मंदिर की दुरी महज 2 किलोमीटर है , फतेहपुर रोड पर भीचरी गांव से २ किलोमीटर पहले है
यह मंदिर अब नया स्वरुप ले रहा है .
हवन कुंड जहा से विभूति लेकर लगाने से सब कष्ट दूर हो जाते है ,
वो स्थान जहा मन्नत के लिए नारियल बंधा जाता है.
मंदिर के परिक्रमा करती हुई महिलाये .
भक्त हाथ जोड़ते हुए
मंदिर का मैन गेट
जय बालाजी की