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बड़ा कौन माता पिता या भगवान



बड़ा कौन माता पिता या भगवान ये सवाल काफी समय से मेरे दिमाग में चल रहा था. लेकिन मेरे एक मित्र ने इसका हल बताया क्या  वो ठीक है आप बताये , आजकल भारत देश में वर्द्धाआश्रमों की बाढ़  सी आई हुई है , जयादातर बच्चे अपने माता पिता को आश्रमों में छोड़ रहे है . जो बच्चे अपने माता पिता को अपनी निजता में दखल मानते है . उनकी बीमारी,नाकारापन  ,चिडचिडापन और हर बात में टोका टोकी को बर्दाश्त न कर पाने की सूरत में इनको आश्रमों में छोडा आना ही उचित समझते है , इससे उन माता पिताओं पर क्या गुजरती होगी जो अपने बच्चो से बड़ी बड़ी आशाये लगाये हुए होते है , मेरा भी एक मित्र अखलेश इसी तरह का है जिसने अपने माता पिता को आश्रम में भेज दिया है  और खुद  अपनी पत्नी और तीन बच्चो के साथ एक बढ़िया बंगले में रहता है , भगवान  का इतना बड़ा भगत है की जहा भी मंदिर दिखे वहा दर्शन करना और देवी देवताओ के कार्यो के लिए धन लुटा उसकी आदत में शुमार है ,यानि भगवान जहाँ है सब कुछ वहां है  उसके विपरीत मेरा दूसरा दोस्त अरुण अपने माता पिता को भगवान से बड़ा मानता है , वो उनके लिए कुछ भी करने को आतुर रहता है जब अरुण की शादी हुई तो अरुण ने अपनी पत्नी यानि मेरी भाभी से एक ही बात कही सुमन मेरे माता पिता मेरे भगवान है कयोकी इन्होने मुझे जन्म दिया है और जो पैदा करता है उससे बड़ा कोई नहीं होता है. संस्कार ,उंच नीच और भगवान के बारे में वही बताते है . जो हमें ज्ञान माता पिता देते है हम उसी के आधार पर अपना जीवन बिताते है , अगर आज तुम माता पिता का आदर करोगी तो कल हमारे बच्चे भी हमारा सम्मान करेगे , और जीवन भर हमारी देखभाल करेगे . जब मेने अरुण से पूछा तो बोला अनिल भाई आप 'हम' आम इंसानों  की तो बात छोडिये 'भगवान' ने खुद अपने माता पिता को ही बड़ा बताया है , श्री गणेश जी को  तो पुरे ब्रहम्मांड का चक्कर काटे बिना देवताओ का सिर मोर बना दिया गया  , क्योकि उन्होंने अपने माता पिता यानि भगवान महादेव और माता पार्वती के चारो और चक्कर काट लिया था , वही भगवान मर्यादा पुरषोतम श्री राम ने अपने अपने पिता के वचन के खातिर अपना सारा राज पाट त्याग दिया तो आप इस बात से अंदाजा लगाये , जब भगवान अपने माता पिता को बड़ा मानते है , फिर हम क्यों नहीं मान सकते है , हाँ में भगवान को मानता जरुर हु पूजा अर्चना भी करता हु लेकिन अपने माता पिता की अनदेखी कर के नहीं . हां शायद अरुण की बात मेरे समझ में तो आई , और मेने अपने माता पिता से अपनी पुरानी गलतियों की माफ़ी भी मांगी और उन्होंने मुझे माफ़ भी कर दिया . में  आप  सभी पढने वालो से में आशा करता हूँ की इस लेख को पढने के बाद आप उन व्यक्तियो को जरुर  समझाए जो अपने माता पिता का ध्यान नहीं रखते है और  उन्हें माता पिता की अहमियत जरुर समझाए

वातसल्य खाण्डल ( चोटिया )