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अमावस्या और पूर्णिमा के मध्य के चरण को हम शुक्ल पक्ष कहते हैं। अमावस्या के बाद चन्द्रमा की कलाएँ जब बढ़नी आरम्भ हो जाती हैं तब इसे शुक्ल पक्ष कहा जाता है। इन रातों को चाँदनी रातें कहा जाता है। किसी भी शुभ कर्म में शुक्ल पक्ष को शुभ माना जाता है। इन दोनों पक्षो की अपनी अलग आध्यात्मिक विशेषता होती है। शुक्ल पक्ष को सुदी भी कहा जाता है। नये कार्य की शुरुआत तथा व्यवसाय के विस्तार के लिए शुक्ल पक्ष उपयुक्त होता है।
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